उस पार एक जहां और भी है रास्ता जिसका सिर्फ मृत्यु जहां। उस पार एक जहां और भी है रास्ता जिसका सिर्फ मृत्यु जहां।
जब की हम वास्तविक हैं या कल्पना यह भी सोचने की बात है, जब की हम वास्तविक हैं या कल्पना यह भी सोचने की बात है,
सारे धर्म के सम्मान में, सिर उनका खुद झुक गया। सारे धर्म के सम्मान में, सिर उनका खुद झुक गया।
क्या लाठी, आप ही नहीं उठती, या दृगों की धार रुक नहीं पाती मैं जानना चाहता हूँ।। क्या लाठी, आप ही नहीं उठती, या दृगों की धार रुक नहीं पाती मैं जानना चाहता ...
सूरज हूँ, किरण हूँ, लोम हूँ, विलोम हूँ, लोक हूँ, परलोक हूँ। सूरज हूँ, किरण हूँ, लोम हूँ, विलोम हूँ, लोक हूँ, परलोक हूँ।
जब कोई चाहने बाला चला जाता दूर कहीं बार बार याद आता. जब कोई चाहने बाला चला जाता दूर कहीं बार बार याद आता.