ब्रह्माण्ड में हमारा अस्तित्व
ब्रह्माण्ड में हमारा अस्तित्व
अनंत शून्य के बीच में परिक्रमा कर रहे हैं,
लाखों आकाश-गंगा के साथ कल-कल कर रहे हैं,
कोई अस्तित्व है क्या हमारा भी इस असीम भुवन में कहीं,
क्या हमसा कोई और भी उलझा है इस युग में यहीं,
कैसे लोक-परलोक के मतलब यहां एक हो जाते हैं,
ग्रहों के मायने, असर सब शेष हो जाते हैं,
यूं निरंतर, अखण्ड अडिग हम परिभ्रमण कर रहे हैं,
इस भू पे हम निरंतर चल हैं,
जब की हम वास्तविक हैं या कल्पना यह भी सोचने की बात है,
क्योंकि बिंदू मात्र धरती के चारों ओर अनंत अतंराल है,
खामोशियां, अंधकार और एक विराट सा सूनापन है,
क्या है यह ब्रह्माण्ड, क्या है इसका जीवन .....
मैं सोचती हूँ ....
