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Annu Tripathi

Inspirational

4.0  

Annu Tripathi

Inspirational

नाउम्मीद ना होना

नाउम्मीद ना होना

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नाउम्मीद ना होना, अभी कुछ सांसें और बाकी है,

अभी जिंदगी का तुम पर करम एक और बाकी है !


जो अपने रूठ गए तुमसे, जो रिश्ते तोड़ गए तुमसे,

जरा मुट्ठी खोल कर देखो, वहां एक डोर बाकी है !


मुरझाये यह पत्ते है, सूखा देख कर चुप हो,

ना बोलो तुम अभी कुछ, कि घटा घनघोर बाकी है !


जिन कमरों की दीवारों पे, अकेलेपन के जाले हो,

जिस फाटक के कभी, खुलते ना ताले हो,


दिल के झरोखों के तुम शीशे तोड़ के देखो,

अकेलेपन के कानो में कहीं एक शोर बाकी है !


मर्ज़ी थी तुमहारी ही कि कोई साथ ना आये, 

तन्हा ही सफर की जिद थी, ना साथी हो ना हो साये,


फिर भी ढूढंते हो, भीड़ में मुस्कान मीठी तुम, 

देखो..अब भी बंधा उसके दामन का एक छोर बाकी है,


नाउम्मीद ना होना, अभी एक दौर बाकी है...!


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