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सफेद खून

सफेद खून

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काफी दिन हो गए पर घर ना लौटा,

क्योंकि फौज में गया था मेरा बेटा।


होली साथ खेलेंगे जाते वक्त कहा था,

पर वो गोली से खेलेगा किसे पता था ?


पैंतीस की उम्र में मरा ऐसी जवानी है,

दुनिया में गर्व पर मेरी आँखों में पानी है।


पति थे मेरे खुद को उनपे लुटा दिया,

शहीद तो हुए पर मेरा सिंदूर मिटा दिया।


बिछड़न तो थी पर मिल भी लेते थे,

लौटकर आऊँगा ऐसी तसल्ली देते थे।


याद उनको करती हूँ चाहे दिन या रैना है,

आँसू भरकर बहते ये दोनों नैना है।


बहन हूँ उनकी राखी को बचाकर रखा है,

हर यादों को दिल में सजाकर रखा है।


उन्हें तो बस फौजी बनने का शौक था,

हमारे दिल में उन्हें खोने का खौफ था।


मर मिटते वतन पर ये फौजी का जुनून है,

पर हम सबकी आँखों से बहता सफेद खून है।।


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