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Meenakshi Kilawat

Tragedy

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Meenakshi Kilawat

Tragedy

लालच

लालच

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इक लाचार के लाचारी का

ऐसा भद्दा मज़ाक बनाया है

इक इक वोटों के लिये यहां

लालच के डोज पिला रहे है...

बिछाया ऐसा जाल गाँव शहरों मे

पाखंडी नेताओं की चालों ने

समाज को भ्रम में डाला है

देश के गद्दार नेताओं की टोली ने...

चिल्ला कर कहते है भरी सभा में

भरपाई होगी रुपयों से बैंक खातों की

मत मारी बिचारे ग़रीब की

ना समझे झोल दलालों की....


सलीके से है कुर्सी पर बैठे

अनबूझ पहेली सुलझाने जैसे

भेद भरे इनकी नस नस में

मन भरे इनकी अनभिज्ञ्न चालों से....

जलता हुआ सवाल लेकर

सोया अमन चैन के सपनों मे

भूखा रहा ग़रीब आजतक

आशा लिये मक्कारो की आंगन में...

खून पसीने की कमाई से

भर रही पाखंडीयों की झोली

नेताओं की चाल ढाल देखकर

लगता जैसे हो गद्दारों की टोली...

शक्लो सूरत से वो इन्सान

हमको नजर आते है

लेकिन अन्दर से धोकेबाज

बर्बर शैतान होते है...



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