रचना मानव की प्रज्ञा हारी
रचना मानव की प्रज्ञा हारी
देश में अब नहीं बहन बेटियां नहीं सुरक्षित नारी
रावण राक्षस धरती पर अब भी जिंदा है मक्कारी
जिधर-उधर दिखाई देते वहशी दरिंदे बलात्कारी
बढ़ा पाप कलयुग में कैसे मानव की प्रज्ञा हारी....!!
सच में बेटियों पर झपटे लूट लेते इज्जत सारी
फंँसी व्यूह रचना में कैसे कोमल अबला नारी
फिर एक निर्दोष नारीपर किया अत्याचार भारी
बढ़ा पाप कलयुग में कैसे मानव की प्रज्ञा हारी....!!
बंगाल ने तो डंका बजा दिया है पूरे विश्व में
पुलिस के साथ गद्दार नेता भी मिले हमजोली
जहां बैठी महालक्ष्मी जी देखकर जी भर रोई
बढ़ा पाप कलयुग में कैसे मानव की प्रज्ञा हारी....!!
