मां के चरणों में ही सुखचैन"
मां के चरणों में ही सुखचैन"
*"मां के चरणों में ही सुखचैन"*
मां के चरणों में ही सुखचैन,मां तुम महत्तम वेद पुराण
ममता स्नेह का भंडार हो,मां तेरी हाथों में जादू हैं
मां तु मातृत्व का गहना हैं,तेरे आगे भगवान झुक जाते हैं.!!
पवित्र गंगाजल से भी ज्यादा, चंदन की खुशबू से भी ज्यादा, कल्पतरु की छाया से भी ,चारों धाम की यात्रासे भी ज्यादा
ऋणी हैं सांसें और यह जीवन हैं....!!
मां तुम मेरे लिए कई राते जागकर,अपनी नींद को त्यागकर
अपनी भूख को भूलाकर,मुझे भरपेट खिलाकर
प्यार भरी हाथों से सहलाया हैं..!!
अपने शौक को भूल गई,इच्छाओ को वार गई
अपनी मेहनत के बल पर,हमें खुशहाल जीवन दे गई..!!
अपने खून के बूंदों से जगाया,हमारा जीवन सुखी बनाया
अपने छाती से दूध पिलाया ,खून पसीना बहा कर के
परिवार के बगिया को सिंचा,
सच कहूं तो इस उपकार को
कभी भी ना मैं भुला पाई,मां तूने त्याग किए हजारों
पाई पाई बचाकर के,हमारे लिए सपने संजोए
पतझड़ में भी फूल खिलाए...!!
कैसे बखान करूं मैं शब्द नहीं हैं ,जिव्हा मेरी असमंजस में है
लेखनी में इतनी जान नहीं है ,समेट कैसे लू इस सागर को
यह तो मेरे बस की बात नहीं है,मां के चरणों में ही सुखचैन हैं.!
© मीनाक्षी किलावत (अनुभूती)

