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Meenakshi Kilawat

Romance Classics

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Meenakshi Kilawat

Romance Classics

ग़ज़ल -रात भर ख्वाब ही न जाते हैं, 

ग़ज़ल -रात भर ख्वाब ही न जाते हैं, 

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ग़ज़ल -रात भर ख्वाब ही न जाते हैं, 

 *रात भर ख्वाब ही न जाते हैं,बिन तुम्हारे ब़ड़ा सताते हैं।* *आपकी याद ही न जाती है,रात तो नींद बिन बिताते हैं।* चाँद तारे ज़मीं उतर आएं,वो हँसी रात फिर बुलाती हैं वक़्त फिर से निकल न जाए वो,आज ख़ुशियाँ चलो मनाते हैं। हौसले भी रखू यहां दिल मे,फासले भी मिटा सकू अपने मगर तड़फे किसी के अरमां हम,जान हसते हुए गवाते हैं।। टूट कर धूल में गया था मिल,चमन मे फुल हवा के चलने से सज गया अब बसंत गुलशन में, शबनमी बूंद जो बरसते हैं।। रोशनी से सवार दो जीवन,नेक नियत से कभी किसी औ का जिंदगी में कभी किसी तरह से,दु:ख दर्द कभी न छलते हैं।। खास ही कुछ दुआ मिले दिल की,जान पर भी तभी कुर्बां होते खुद से शुक्रिया अदायगी कर दिल,से दुआए सलाम करते है।। माँ कहो औरत कहो यह ग़ैरों से खूब निपटती है मगर खूद अपने हि घर में बांदी बन,आंखमें अश्क सदा छलकते हैं।

 मीनाक्षी किलावत (अनुभूति)......... 


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