सच्चाई
सच्चाई
गांव के राजा शहर पहुंचे, और दास हो गए
मेहनत न कि छात्रों ने, फिर भी पास हो गए
आज की पीढ़ी को, काम करना पसंद नही है
सब के सब जवानी में ही, जिंदा लाश बन गए
ज्ञान किताबों में नही, ठोकर खाने से मिलता है
एक बार हार क्या मिली, सब उदास हो गए
इंसानियत आज कल, कहाँ देखने को मिलती है
सब लोग लालच और हवस में, बदमाश हो गए
जिन लोगों ने बुरे काम किये थे, देखो उन्हें
सब के सब इस धरती से, सर्वनाश हो गए
हम तो अच्छे कर्म और, लोगों की मदद करके
किसी घोर अंधकार का, तेज प्रकाश हो गए
गरीब लोगों का जीतकर, भरोसा और दिल
इंसानियत के नाम पर, अटूट विश्वास हो गए।