बाल मजदूरी
बाल मजदूरी
आज मैंने जब
छोटू को प्लेट धोते देखा,
बचपन के उन्हीं दिनों में
मैंने झाँक के देखा।
मिल जाता था मुझे
चमचमाते बर्तनों में
मनपसंद खाना।
पर तब समझ में
न आते थे
कैसे चमकते हैं
यह बर्तन रोजाना।
श्रम मेरे लिए होता था
बस अपना स्कूल बैग
पाठशाला से घर ले आना
और ले जाना।
तब कोरे नोट
समझ में न आते थे
पिग्गी बैंक में बस
सिक्के ही छनछनाते थे।
मेहनत का फल होता है मीठा
माँ ने मुझे बताया था
श्रम का अर्थ सिर्फ
पढ़ना ही तो बताया था।
क्यों नहीं है छोटू का बचपन
बचपन जैसा ?
काश कोई हर बालक का बचपन
होता बचपन जैसा।
यही है मानवता की चाह
हर बालक का बचपन हो
बचपन जैसा।।
