बूढ़ा पीपल
बूढ़ा पीपल
जिसने बिता दिया
अपना जीवन,
अपनों के लिए।
जिसने बनाई
प्यार भरी छाँव,
अपनों के लिए।
जिसने बिताई अपनी
ज़िंदगी कष्ट में
अपनों के लिए।
जिसको पनाह दी थी
उसी ने ही ठुकराया
इस बूढ़े पीपल को।
आज वो कट रहा है,
दर-दर बिक रहा है,
रो रहा है,
लेकिन आज कोई
अपना नहीं आया
उसकी मदद को,
आज फिर से अपनों की
लड़ाई में एक
बूढ़ा पीपल
कट गया,
हार गया
और अपनों के हाथ
वो बिक गया।।