शायद !
शायद !
शायद मैं थोड़ा ज्यादा इमोशनल हूं मुझे ऐसा लगता है।
लोगों की छोटी-छोटी बातों पर बहुत सोचता हूं यह क्यों हुआ ?
क्यों हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए था।
किसी से लड़ाई हो जाने पर उससे गुस्सा जाता हूं और
बाद में मैं ही बात करता हूं और रोन लग जाता हूं मुझे ऐसा लगता है।
अगर कोई मुझसे प्यार से बात करें तो उसे अपना मान बैठता हूं
और कभी उसकी मदद करनी हो तो हमेशा अवेलेबल हो जाता हूं
लेकिन जब बात आती है मेरी तो खुद को
अकेला पाता हूं। मुझे ऐसा लगता है।
मैं गुस्से में किसी को भी कुछ भी बोल देता हूं
और बाद में मुझे अफसोस होता है कि मैंने ऐसा क्यों किया
मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे ऐसा लगता है।
शायद थोड़ा ज्यादा इमोशनल हूं मैं मुझे ऐसा लगता है।
जिम्मेदारी से भरी आंखों में भी थोड़ी शरारत होनी चाहिए
लड़कों के टूटने पर भी रोने की इजाजत होनी चाहिए।
यह मेरी पहली हिंदी कविता है आशा करता हूं आपको पसंद आई होगी
अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो मुझे माफ करिएगा !