सच्चाई
सच्चाई
सर्कस का जोकर
भागते दौड़ते अस्पताल पहुँचा
माँ अंतिम साँसे ले रहीं थी
बिलग के उसको
फूँट फूँट रोया
माँ ने सर पर के बाल उसके
सहलाये बड़े प्यार से
अपने कमजोर उँगलियोंसे
और बोली स्निग्ध आवाज मे
आँसू मत बहा लाल मेरे
शोभा नहीं तुझे देते
ज़िंदगी भर लोगों को
हँसाता रहा
और अब
आँसू है बहाता ?
क्या मै इंसान नहीं?
मुझे रोने का हक़ नहीं?
बोला भोला जोकर
और भी चिपका माँ को
ज़वाब कहाँ मिलना था?
आत्मा अनंत में
कबकी हो चुकीं थी विलीन
इतने मे सर्कस का मैनेजर
पहुँचा वहाँ जल्दी मे
राजू तुम्हारी एंट्री आने वाली है
सबको तुम्हारा ही इंतज़ार है
चुप चाप ऊठा राजू
जोकर का रोल तो
निभाना ही था उसको ......
उसके आँसू पोछने वाला
दुनिया मे कोई नहीं अब बचा था !!