दिल तो जोड़ो
दिल तो जोड़ो
मजहब जब स्वार्थ के रास्ते चले,
मंदिर हो या मस्जिद - हैं टूटने ही वाले,
भगवान हो या खुदा दोनों हैं रोने वाले
जब बना नहीं सकते,
क्योंकर तुले हो तोड़ने ?
चलो नये साल में कम से कम -
दिल जोड़ने का काम करें?
