समझ नहीं पाया
समझ नहीं पाया
समझ नहीं पाया क्यूँ है,
ये भारत
ये पाकिस्तान
ये चीन
ये अमेरिका
ये इंग्लंड
ये जर्मन
समझ नहीं पाया क्यूँ है,
ये मंदिर
ये मसज़िद
ये चर्च
ये गुरुद्वारा
समझ नहीं पाया क्यूँ है,
ये हिंदी
ये उर्दू
ये अंग्रेज़ी
ये चीनी
समझ नहीं पाया क्यूँ है,
पंछी, पानी,
हवा, किरने,
कहीं भी, कभी भी
जा सकतीं है अगर,
इन्सान क्यूँ तुला है,
काटने और बाँटने?
समझ नहीं पाया क्यूँ है,
यें भगवान
यें ख़ुदा
यें गॉड
समझा दे मुझे
क्यूँ है ये दूरी
क्या है मजबूरी?
ज़वाब मिला......
इंसानों ने जब हमको ही है बाटा,
आपस में कैसे होता समझौता?
ख़ून ख़राबा, मारना मरवाना,
तों होना ही था,
सिर्फ़ मंदिर, मसज़िद,
चर्च, गुरुद्वारा,
बनने से क्या होगा ?
जब इन्सानने,
दिल के अंदर ही नहीं,
हमें बिठाया....!!
