किसान की विनती
किसान की विनती


देश का एक हूँ किसान
जीना करो मेरा आसान
थोड़ा पानी
जादा पसीना
बहुत सारा खून
जब हूँ बहाता ज़मीन
तब जा के उगता है धान
एक दिन भी न जा सका मंडी
खा नहीं पाता हूँ मैं सूखीं रोटी
सुना है मे
रे लिए कुछ है पहुँचे दिल्ली
सरकार उन्हें रोकने में है उलझीं
दोनों से क्या मैं कर सकूँ यह बिनतीं
मेरे लिए इतना ना समय गुज़ारो
मुझे सिर्फ मेरा अनाज बेचने दो
घर मेरा उजड़ने से बचाओ
परिवार मेरा मरने से बचाओ
देश का एक हूँ किसान
जीना करो मेरा आसान।