सुई और धागा
सुई और धागा
सुई कहे धागे से,
इतना क्यूँ करे है प्यार मुझ से?
क्यूँ भागे हो सदा मेरे पीछे?
जबकि मालूम है तुम्हें,
मै चली जऊँगी कुछ ही क्षणोंमे,
फँसा के तुझे कहीं ना कहीं.
भावुक धागे ने कहाँ सुई से,
परवाह नही ज़िंदगी की मुझे,
साँचा प्यार जो किया तुझसे,
साथ तेरा हमेशा निभाउंगा,
भले तुम साथ छोड़ो मेरा,
मै ना छोडूंगा तेरा ......
छूटेगा जिस वक़्त साथ,
पड़ा रहूँगा कहीं बेजान, बेहाल,
बनके प्यार की मिसाल ......
जबकि मालूम है मुझे,
तू ही एक दिन उधेड़ देगी मुझे !!

