यही तो दुनिया है
यही तो दुनिया है
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कभी हँसती, तो कभी रुलाती,
ये दुनिया बहुत ही जालिम है।
सुख में साथ और दुःख में भागती,
ये दुनिया बहुत सताती है ।।
ना कदर किसी की बस अपमान करती,
ये दुनिया है जनाब बहुत रुलाती है ....
झूठ के सहारे जीती, सच कहने पर रुलाती,
कमबख़्त ये दुनिया बहुत हरामी है ....
वक्त देख के करवट बदलती,
ये दुनिया गिरगिट जैसे रंग बदलती।।
झूठी दुनिया, झूठे लोग सब बाते इनकी झूठी,
झूठे इरादे, इन की मुस्कुराहटें भी झूठी,
बंधती डोर जिस विश्वास के धागे से,
जब देखे तब पता चल जाये की वो डोर भी है टूटी,
यही तो ये दुनिया है, कभी किसी की नहीं होती।।