हिंद के वीर (२)
हिंद के वीर (२)
माँ भवानी का लाडला जो ,
माँ जिजाऊ का दुलारा था !
दख्खन से दहाड़ा जो ,
शेर-ए-हिंद शिवाजी राजा था !!
हर हर महादेव की गुंज उठी ,
दख्खन से ये आवाज आयी !
देख शिव अवतार लिये ,
औरंग तेरी मौत आयी !!
काशी सोमनाथ तोडा तुने ,
अब तेरी शामत आयी !
देख शिव अवतार लिये ,
औरंग तेरी मौत आयी !!
करणा हे अब हिंद स्वतंत्र ,
एसा शिवाजी ने प्रण लिया !
सह्याद्री के कण कण मे ,
हिंद शेर पैदा किया !!
बचपन मे थे सुने शिवा ने ,
राम नाम के तराणे थे !
रामकृष्ण की धर्मनीती से ,
हुवे प्रभावित शिवाजी थे !!
हेवांनो की तोड जंजिरे ,
इक इक कर सब गड जितें थे !
प्राण बचाये मुघल भाग जाते ,
जब वीर शिवाजी आते थे !!
शिव से ही फिर शिवरौद्र जनमे ,
महाभयंकर शंभू थे !
अपनी जाण से भी ज्यादा प्यारे ,
उन्हे धर्म और शिवाजी राजा थे !!
मातृभूमी को किया स्वतंत्र ,
एसा हमारा राजा था !
शिवस्वरूप वीरभद्र जेसे ,
महारुद्र महाप्रलय शंभूराजा था !!
करणे व्यापार आये अंग्रेज ,
ये तो एक बहाणा था !
भाप गये थे राजे ,
हिंद के लिये इक और खतरा था !!
राजे के होते ,
अंग्रेजों मे हिंद तो इक सपना था!
सून शिवाजी शंभू नाम ,
पुरा अंग्रेज सरकार थर्राता था !!
तडप तडप के मरा औरंग ,
शिवपुत्र शंभू ने ऐसा खेल रचा !
लाना हे दख्खन मे औरंग ,
एसा शंभू का जाल बिछा !!
राजनीती के दावपेच से ,
धर्म शंभू को प्यार था !
लथपथ खून से नहाये ,
धर्मवीर शिवपुत्र शंभूराजा था !!
