STORYMIRROR

अक्षय वरक

Classics

4  

अक्षय वरक

Classics

हिंद के वीर (२)

हिंद के वीर (२)

2 mins
336


माँ भवानी का लाडला जो , 

माँ जिजाऊ का दुलारा था ! 

दख्खन से दहाड़ा जो , 

शेर-ए-हिंद शिवाजी राजा था !! 

   

हर हर महादेव की गुंज उठी ,   

दख्खन से ये आवाज आयी !   

देख शिव अवतार लिये ,   

औरंग तेरी मौत आयी !!  

   

काशी सोमनाथ तोडा तुने ,   

अब तेरी शामत आयी !   

देख शिव अवतार लिये ,   

औरंग तेरी मौत आयी !!  

  

करणा हे अब हिंद स्वतंत्र , 

एसा शिवाजी ने प्रण लिया ! 

सह्याद्री के कण कण मे ,  

हिंद शेर पैदा किया !! 

  

बचपन मे थे सुने शिवा ने , 

राम नाम के तराणे थे ! 

रामकृष्ण की धर्मनीती से , 

हुवे प्रभावित शिवाजी थे !!  

  

हेवांनो की तोड जंजिरे ,  

इक इक कर सब गड जितें थे ! 

प्राण बचाये मुघल भाग जाते , 

जब वीर शिवाजी आते थे !! 

  

शिव से ही फिर शिवरौद्र जनमे ,  

महाभयंकर शंभू थे ! 

अपनी जाण से भी ज्यादा प्यारे , 

उन्हे धर्म और शिवाजी राजा थे !! 

  

मातृभूमी को किया स्वतंत्र ,  

एसा हमारा राजा था !  

शिवस्वरूप वीरभद्र जेसे , 

महारुद्र महाप्रलय शंभूराजा था !! 


 करणे व्यापार आये अंग्रेज , 

 ये तो एक बहाणा था ! 

भाप गये थे राजे , 

हिंद के लिये इक और खतरा था !! 


राजे के होते , 

अंग्रेजों मे हिंद तो इक सपना था! 

सून शिवाजी शंभू नाम , 

पुरा अंग्रेज सरकार थर्राता था !! 

  

तडप तडप के मरा औरंग , 

शिवपुत्र शंभू ने ऐसा खेल रचा ! 

लाना हे दख्खन मे औरंग , 

एसा शंभू का जाल बिछा !! 


राजनीती के दावपेच से , 

धर्म शंभू को प्यार था ! 

लथपथ खून से नहाये , 

धर्मवीर शिवपुत्र शंभूराजा था !!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics