हिंद के वीर....(१)
हिंद के वीर....(१)
हिंद के वीर.... (१)
जिसे कहा सोने की चिड़िया
वही जल- जल के राख हो गयी
पुछ रहा जमीन आसमां
आजादी मुझे मिलेगी या नहीं
इस भारत भू ... पे मुगलों ने
कैसे कैसे अत्याचार किये
कुछ पृथ्वीराज - राणा जी से लड़ गये
कुछ धन की खातिर बिक गये
राम नाम का पुकार लगाये
भारतवासी रो-रो के मर गये
जाति धर्म का भेद डाल के
मुग़ल भारत पे हावी पड़ गये
घनघोर अंधेरा हो गया
सूरज की कोई आस नहीं
अब लेना होगा रौद्रावतार
शिव के पास कोई पर्याय नहीं
गुलामी की चादर लिये
भारतवासी सो गये
कैलाश छोड़ शंकर
देख हिंद दक्खिन आ गये
दक्खिन की पहाड़ियों से
केसरी दीये जल गये
मिटाने बादशाही सल्तनत
शिव.... शिवाजी बन गये
उस तख्त दुर्ग शिवनेरी से
आजादी की उम्मीद मिली
सूरज जैसी चमक जिस में
मुगलों की जो नींव हिली।