हिंद के वीर (३)
हिंद के वीर (३)
हिंद के वीर (३)
बीत गये कुछ साल
शिवशंभू भारत माँ के गोद सो गया
लालच भरा औरंग
इसी मिट्टी में मिल गया
ढल गये वो दिन सारे
जो शिवशंभू नाम के गुंज थे
देख यही मौका
अंग्रेज भारत में घुस गये
जात पात के नाम पे
हिंदू आपस में ही लड़ गये
राम रहीम करने वाले
ईसाइयों में बदल गये
भारत माता मुगलों से छूट
अंग्रेजों के हाथ लगी
ये कैसा श्राप लगा हिंद को
सारी दुनिया उसको देख रही
ये शूरवीरों की भूमि हे
गोरों को पता नहीं
हिंद रक्त की बूँद बूँद में शिवशंभू हैं
ये बात गोरों को पता नहीं
भारत भू को छेड़े एसी किसी की मजाल नहीं थी
हमने ही आस्तीन में ऐसे साँप पाले थे
कुछ धन कुछ तन के खातिर
भारत भू पे गुलामी के दाग लगे थे
फिर भी कुछ शिवशंभू के दीवाने थे
कुछ पृथ्वी राज - राणा सांगा, महाराणा के दीवाने थे
वतन आजाद करने निकले
तिलक सावरकर जैसे परवाने थे।