किताब
किताब
लिखी है किताब मैंने
फिर भी क्यूं अधूरी है,
धूल खाये पन्नों पे
याद सिर्फ तुम्हारी हे....
कहने को असमान भी मेरा हे
एक तू ही क्यूं मुझ से खफा है ,
देख तेरी यादों को मैंने
किस तरह किताबों में उतारा हे....
हाँ ये किताब है मेरी
तेरी यादों से बनायी है ,
हर अल्फाज को मैंने
तेरी रुह से सजाये है ...
हर पन्ने पे होता जिक्र तेरा
यादों की बारिश में ,
मेरी कलम को भी
होता है नशा तेरा....
पुरानी किताब , पुराने हम
हर लफ्ज तेरा , हर अल्फाज तेरा ,
ना बदले गम , ना बदले हम
आजा इस किताब को इंतजार है तेरा....