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Suvercha Chaturvedi

Tragedy

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Suvercha Chaturvedi

Tragedy

राह

राह

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कहते- कहते साथ चलते रहे

हम हमेशा की तरह 

खामोशी पकड़ सुनते रहे

न यह जिद थी तेरी

न यह जिद थी मेरी

बस पगडंडियों का सफ़र यूं ही काटते रहे

कभी छाॅंव मिली तो बाॅंट ली

धूप में दोनों तपते रहे

देखो ! यह जो पगडंडी है

फिसलन से भरी हुई है

अब अंतिम छोर पर

तुम किधर हुए 

हम किधर गए|


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