दिल का अफसाना
दिल का अफसाना
दिल बंद बंद सा है
अरमान हैं बुझे-बुझे
आके कोई खोले जरा
दिल में सिमटे मुझे-मुझे
मन का आँगन सुना है
दिल की गलीयाँ खोयी हैं
झाँके कोई गलियारों में
हर आँख भरके रोयी हैं
उदासी की परछाईंयाँ
लिपट सी गयी तन-मन को
एक आशा की किरण से
जगमगा डालो मन भावन को.
