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Swapna Sadhankar

Tragedy

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Swapna Sadhankar

Tragedy

अभरम

अभरम

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ओस की बूंदें सूख जाती हैं

कोहरा कहीं बह जाता हैं

सर्द रातें नींदो को उड़ा के

करवटों में गुज़र जाती हैं

तब सब साफ़ नज़र आता हैं

सब कुछ...


घटाएँ आती हैं और जाती हैं

अरमान कई सिमट जाते हैं

बहारें सपनों को बांहों में लिए

वादियों में गुम हो जाती हैं

तब सब साफ़ नज़र आता हैं

सब कुछ...


चेहरा आईने में छुप जाता हैं

परछाई अंधेरे में ढल जाती हैं

चाहतें दिल में दफ़न हो के

जिंदगी का एहसास दिला जाती हैं

तब सब कुछ साफ़ नज़र आता हैं

बिलकुल साफ़ नज़र आता हैं

सब कुछ...



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