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Ervivek kumar Maurya

Romance Tragedy

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Ervivek kumar Maurya

Romance Tragedy

खत लिखे थे जो

खत लिखे थे जो

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मैंने डाले नहीं खत लिखे थे जो

दिया कोई पैगाम नहीं लिखे थे जो

रूबरू मेरे पास बैठी है लगता है सनम

दूर हूं फिर भी, पास लगते हैं वो

हां बहुत ही संभाला अपने दिल को सनम

टूट कैसे जाए जब तक दिल में है वो

मैंने डाले नहीं................


रोज लिखता था तेरी मुस्कुराहटों को

रात में सुनता था तेरी आहटों को

करवटें बदलते बदलते अब शाम गुजरती है मेरी

पर सांसों में बसी है मेरी वो

मैंने डाले..................


वो लिहाफ आज भी मुझको याद है

लग रही थीं जिसमें अप्सरा वो शाम याद है

तेरी हंसी से मेरे दिल की महफिल खिलखिलाने लगी थी

मेरा खूबसूरत सा चांद है वो

मैंने डाले नहीं..................



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