जब कुछ भावनाएं पेंटिंग से संप्रेषित नहीं हो पाती तो शब्दों का रूप ले लेती हैं.....
आजकल उसे क्या कब अच्छा लगने लगे कुछ समझ में नहीं आता है । आजकल उसे क्या कब अच्छा लगने लगे कुछ समझ में नहीं आता है ।