चौदह साल की लड़की
चौदह साल की लड़की
आजकल उसे पता नहीं क्या हो गया है कभी तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता की कुछ करने का मन ही नहीं करता कभी तो इतना अच्छा लगता है कि अब क्या कहूँ ।
मम्मी भी न आजकल कितना टोकने लगी है कभी तो बोलेंगी की तू अब छोटी नहीं रही जरा ध्यान से काम किया कर और अगर कभी कोई आ जाये और वो बातें सुनने बैठ जाये तो कहेंगी अभी तू छोटी है जा यहाँ से ।
उफ... ये सब उल्टा पुल्टा क्यों हो रहा है। आजकल उसे क्या कब अच्छा लगने लगे कुछ समझ में नहीं आता है ।
छोड़ो...मम्मी का तो काम ही है डाँटना ।
कल पता है क्या हुआ पड़ोस वाला लड़का उसे बड़े ध्यान से देख रहा था अजीब नज़रों से देख कर मुस्कुरा रहा था, पहले कोई ऐसे देखता था तो उसे बुरा लगता था, पर पता नहीं क्यों उसे बुरा नहीं लगा, जब उसने अपनी सहेली सुधा को ये बात बताई तो वो बोली.... सुन तुझे शायद प्यार हो गया है। फिल्मों में ऐसा ही तो होता है ।
वो सोचने लगी.... क्या पता सुधा सच बोल रही हो।
छोड़ो ...। वो अपनी सहेली कविता के यहाँ चली गयी। कविता ने दरवाजा खोला, वो आँगन में पहुँची ही थी कि कविता का भाई बाथरूम से निकला वो सिर्फ तौलिया लपेटे हुए था ... हाय राम कितना गोरा था वो, वो खुद पे ही शर्मा गयी। वो भी अचकचा कर कमरे में भाग गया।
उसे लगने लगा शायद उसे कविता के भाई से प्यार हो गया है।
दिन ऐसे ही गुजर रहे थे। आजकल पढ़ाई में भी उतना मन नहीं लगता था, दिन भर एक बेचैनी सी छाई रहती थी ।
एक दिन मम्मी ने बोला अपने जो किराएदार है उनको ये गाजर का हलवा दे आओ, वो बोली ठीक है मम्मी..। वो उनके वहाँ गयी तो किराएदार का लड़का राजन भी वहीं था वो उसके साथ पहले बहुत खेलती थी आजकल खेलने का मन ही नहीं करता।
ऑन्टी ने पूछा भी की आज कल आती क्यों नहीं हो तो तो उसने बोल दिया समय ही नहीं मिलता ...उसके ऐसा कहने पर पता नहीं क्यों राजन मुस्कुरा दिया.....।
ये लो इसमें भला मुस्कुराने की क्या बात हुई।
वो वापस चली आई ...। हुँह......मुस्कुराता है तो मुस्कुराये उसकी बला से .....।
आज जब कविता के यहाँ गई तो पता चला उसका भाई पढ़ने के लिए दूसरे शहर चला गया।
वो घर आकर फूट-फूट कर रोई....और तौबा कर लिया ... अब प्यार कभी नहीं करूँगी।

