पलकों पे सजी बूँद उठाने वाले
पलकों पे सजी बूँद उठाने वाले
मेरी दुनिया मिटा के ख्वाब सजाने वाले ,
तू भी वैसा ही मिला जैसे जमाने वाले ।।
कोई कैसे करे किसी प यकीं, तू ही बता,
कत्ल करके वफ़ा का, जश्न मनाने वाले ।
तूने सूरज की तमन्ना में जला दी बस्ती,
मेरी पलकों में सजी बूँद उठाने वाले ।
मैंने अपनी वफ़ा की लाश जलाई भी न थी,
तूने दुनिया बसा ली, छोड़ के जाने वाले ।
जा तुझे ख्वाहिशों का नूर अता हो 'अस्मित',
इश्क के हिस्से में बस ज़हर लुटाने वाले ।।

