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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance Tragedy Others

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Romance Tragedy Others

पलकों पे सजी बूँद उठाने वाले

पलकों पे सजी बूँद उठाने वाले

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मेरी दुनिया मिटा के ख्वाब सजाने वाले ,

तू भी वैसा ही मिला जैसे जमाने वाले ।।


कोई कैसे करे किसी प यकीं, तू ही बता,

कत्ल करके वफ़ा का, जश्न मनाने वाले ।


तूने सूरज की तमन्ना में जला दी बस्ती,

मेरी पलकों में सजी बूँद उठाने वाले ।


मैंने अपनी वफ़ा की लाश जलाई भी न थी,

तूने दुनिया बसा ली, छोड़ के जाने वाले ।


जा तुझे ख्वाहिशों का नूर अता हो 'अस्मित',

इश्क के हिस्से में बस ज़हर लुटाने वाले ।।



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