आज तू कहीं है ही नहीं
आज तू कहीं है ही नहीं
आज मुझे तेरी ज़रूरत है,
लेकिन तू मेरे साथ है नहीं।
तेरी तस्वीरें मेरे पास है कई,
पर आज तेरी परछाई कहीं है नहीं।
कहने को तो बहुत कुछ है मेरे पास,
लेकिन सुनने वाला तेरी तरह कोई है नहीं खास ।
पता नहीं था इतनी जल्दी तू हो जाएगी मुझसे इतनी दूर,
अब नहीं रहा घर में वो पहली जैसी शोर।
बचपन में तू ने ही तो हाथ पकड़कर सिखाया था चलना,
आज जब ज़िन्दगी के राह पर चलने की बारी आई क्यों छुड़ा लिया हाथ अपना।
अब कभी गिर जाऊं तो खुद-ब-खुद उठ जाती हूंँ,
आंँखों से आंँसू निकले तो खुद पोंछ लेती हूंँ।
पता है तू कभी लौट कर नहीं आने वाली,
वह प्यार से सिरहाने बैठ के बालों को नहीं सहलाने वाली।
याद है मुझे वो आखरी पल,
जब मैं तेरी सिरहाने बैठी थी।
"जा रही हूंँ तुझे छोड़ कर खयाल रखना अपना"
आखरी बार तू ने यही बोली थी।
