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Lajita Nahak

Others

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Lajita Nahak

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याशिका

याशिका

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मैं याशिका, इस बड़े से आसमान में सबसे छोटी सितारा

चहकती, बेहेकती, मचलती रहती नहीं है कहीं मेरा बसेरा।


सारे सितारों के बीच एक राहत थी,

हांँ, उस चांँद को पाने की चाहत भी थी।


निकल तो गई थी उसके तलाश में,

पर दूर से दिखा कुछ और तारें भी लगे हैं कतार में।


फिर भी मैं चलती रही उसकी ओर,

मानों जैसे जुड़ा है कोई रिश्ते की डोर।


इस आसमान की सफर में दिन भर दिन बढ़ती रही ठंडी,

जब उसके नजदीक पहुंँची पता चला चांँद है बड़ी घमंडी।


दुःखी हो कर मैं लौट रही थी खाली हाथ,

अकेले चल ही रही थी फिर मिला मुझे एक तारे का साथ।


दोनों मिल कर शुरू किया एक नई शुरुआत,

सुख में दुःख में थामे एक दूसरे का हाथ।

 

सवारी निकली तो थी चांँद की चाह में,

पर इस यशिका को मिली अपनी यशिका उसी राह में।


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