अन्तर
अन्तर
आज मैंने उस छोटे से बच्चे को रोते हुए देखा,
जिसकी चहरे पर चमक होनी चाहिए थी उसके बदले चेहरे पर छुरियांँ नजर आ रहे हैं।
जिसके कंँधे पर स्कूल बैग होना चाहिए था,
आज उसके कंँधों पर अपने परिवार की जिम्मेदारियांँ हैं।
जिसके हाथों पर खिलौना होने चाहिए था,
आज उसकी हाथ रास्ते से प्लास्टिक की बोतलें उठा रही है।
जिन उंँगलियों पर कलम की स्याही लगनी चाहिए थी,
आज उस उंँगलियां छिल चुके हैं।
जब दूसरे बच्चे अपने घर में आराम से बैठ के टी वी देख रहे हैं,
आज ये बच्चे तपतपाती धूप में खुदको सेक रहे हैं।
