दूरियाँ नजदीकियाँ
दूरियाँ नजदीकियाँ
1 min
379
फासलों में भी कही
नजदीकियाँ शामिल सी हैं
नजदीकियों में भी कही
दूरियाँ मुकम्मल सी हैं
हर रिश्ते की परछाईं
फासलों में घुली सी हैं
अहसासों के किताबों पे
कुछ तो धूल ज़मी सी हैं
हर एक याद आज भी
फासलों में भी सिमटी सी हैं
छूकर अंतर्मन को अनगिनत
मेरे यादों में लिपटी सी हैं
फासले वो अहसास की डोर
अभी अनमिटी सी हैं
शिकवा नहीं मुझे किसी से
फासलों में अभी भी बेबसी सी है.....