दूरियाँ नजदीकियाँ
दूरियाँ नजदीकियाँ
फासलों में भी कही
नजदीकियाँ शामिल सी हैं
नजदीकियों में भी कही
दूरियाँ मुकम्मल सी हैं
हर रिश्ते की परछाईं
फासलों में घुली सी हैं
अहसासों के किताबों पे
कुछ तो धूल ज़मी सी हैं
हर एक याद आज भी
फासलों में भी सिमटी सी हैं
छूकर अंतर्मन को अनगिनत
मेरे यादों में लिपटी सी हैं
फासले वो अहसास की डोर
अभी अनमिटी सी हैं
शिकवा नहीं मुझे किसी से
फासलों में अभी भी बेबसी सी है.....

