सिक्के prompt 3
सिक्के prompt 3
पैसा सब कुछ नहीं यह उतना ही सच है ,
जितना कि पैसा बहुत कुछ होता है।
व्यक्तित्व को सिक्कों में तोलते हैं ,
सिक्के नहीं तो आप इंसान भी अच्छे नहीं।
पैकेज की ही प्रशंसा करते हैं ,
अच्छा पैकेज नहीं तो करुणा ,स्नेह ,सत्य गुणों का कोई महत्त्व नहीं ।
जो दिखता है वही तारीफ पाता है ,
बाहरी कलेवर दर्शनीय नहीं तो आंतरिक व्यक्तित्व का कोई महत्त्व नहीं ।
पैसा सब कुछ नहीं यह उतना ही सच है ,
जितना कि पैसा बहुत कुछ होता है ।