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Pagal sa Mukul Choudhary

Tragedy

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Pagal sa Mukul Choudhary

Tragedy

शायरी

शायरी

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गुमनाम हो गया हूँ जब से रिश्ता टूटा है, 

वरना हमारा भी बहुत नाम था कभी, 

 मोहल्ले में उसके।


ये जो छोटी-छोटी खुशियाँ, 

दे रहे हो ना तुम। 

देखना, मेरी उम्र भर की उदासी का, 

कारण बनेंगी एक दिन। 


सीख गया है चुप रहना वो भी अब, 

तुम परेशान थी जिसके ज़्यादा बोलने से। 


बात करने का तुमसे मन भी बहुत है, 

पर बात यह है कि अब बात करने को कुछ नही। 


हंस लेता हूं, 

हंसते हुए लोगों को देख के। 

वरना तुझसे दूर होके तो, 

मैं आज तक खुश नहीं।

 

ना कोई दर्द हुआ, 

ना बुखार आया। 

बस तेरे जाने पर आंखों से कुछ पानी सा निकला था, 

फिर उसके बाद, न आंख लगी,

ना हालत में सुधार आया।


 मन भर गया क्या ? 

अब तो बिना बात के भी तकरार करने लगे हो तुम। 

सुकून से खुद भी नहीं सोते, 

और रात भर हमें भी बेकरार करने लगे हो तुम। 


अंदाज़ ए नफ़रत तो कोई तुमसे सीखे मेरी जान! 

 हमें (नज़रअंदाज़/Ignore) करने के लिए भी, 

हमारे ही मैसेज का इंतज़ार करने लगे हो तुम।। 

तेरा पागल...


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