" अनंत साकार "
" अनंत साकार "
वियतनाम की पहाड़ियों पर
चेरापूंजी की बारिश
रंग - बिरंगे खेड़ियों वाले खेत
धानी चुनर ओढ़े वसुंधरा
जैसे स्वर्ग का अवतरण ...
रत्नगर्भा में छिपी
कई ऐसी खामोश यात्राएं
समय जिसका साक्षी रहा
झुक गए कंधे उसके
जिम्मेदारियों के बोझ से
तलाश है उसे
उस पंथी की जिसे थमा सके
वो अधूरे ख्वाब जो पीछे कही
छूट गए एहसासों की हथेली पर
पलने से पहले
तराई में होने वाले
" लव मार्केट" मेले में
शगुफ्ता को मेकोंग नदी का
वो फ्लोटिंग बोट वाला
सौदागर उसकी आंखो
का अंजन बन पिघल रहा ...
याद आता है उसे अपना कश्मीर
फूलो से लदी रंगीन वादियां
आतंकियों की भीड़ में
उसका बचपन कही खो गया
<p>बाबा केसरी संग शरण लिया
वियतनाम की घाटियों में
सुना है उसके दूर की
मौसी यही की थी
वैसे उसे खेड़ियों की खेती
पसंद है
किन्तु उसका डल लेक
शिकारें पर उसका आशियाना
महलों से कोई कम ना था
भेड़ों के पीछे भागना
ताल तलैया तो जैसे उसके साथी थे...
आंखों की कोर गीली कर जाती है...
ये भावों की तरलता हैं
या शिथिलता
जो उसके निरीह एकाकी
मन ने महसूस किया है
सृष्टि के दामन में हैं अद्भुत
अनमोल खुशियों का खजाना
दे रही है शांति का पैगाम
जो कश्मीर की ऊंची देवदार
वृक्षों को स्पर्श करती पहुंच
जाती है
इन वियतनाम की वादियों में...
यही ढूंढनी पड़ेगी उसे वो सहारा
जो कश्मीर में किसी बंदूक
का शिकार हो गया...।