" वी" डे उत्सव
" वी" डे उत्सव
तितलियों के रंग बिरंगे पंखो सी
रंग बिखेरती
कुछ सपनों को
साकार करें कुछ संकल्प लें.. .
प्रेम बांटे...
सड़को पर भटक रहे
रोटी खातिर
एक भूखे को रोटी का
निवाला खिलाये ...
खिलौनें बेच रहे सड़को पर
बच्चे को स्कूल में पढ़ाये ...
बेटी बचाये.... बेटी पढ़ाये....
बेघर को एक मड़ई ही सही
शीत लहर की मार और
गर्मी की लू से बचाये....
वृद्धा आश्रम की
चारदीवारी में हंसी
ठहाकों की गूंज से
उनके आँखों की गीली कोर
को पोछें....
इससे पूर्व की जिंदगी बेमाने हो जाए
कुछ ऐसे भी वैलेंटाइन मनाएं मनाएं .....
खुद ही खुद को विश कर लो
और ' वी' डे मना लो ...
जैसे लहरे चूमती किनारों को...
धरती अंबर को...
हवाएं
झूमती डालियों को...
एक मृदुल अहसास तले ...
इन अहसासो की नमी
रहे बरकरार
उन ओस की बूँदों की
मानिंद
जो कुछ पल के लिए
ही सही
हर सुबह ठहरती तो हैं
नर्म और प्यार भरी
हथेलियों पर...
अहसासो के हसीं लम्हें
बड़े ही जज्बाती है...
रिश्तों के रस्म में
थोड़े कच्चे ही सही
एक कतरा प्यार की रौशनी
से चमका लें
उन धूल पड़ी
गुलाब की पंखुड़ियों को
सूखने से पूर्व
जो निर्मल अहसास से
आच्छादित हैं।