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Poonam Singh

Romance

4  

Poonam Singh

Romance

"आत्म प्रणय"

"आत्म प्रणय"

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अवसाद के धुंधलके 

और निराशा के 

कोलाहल के बीच

 तुम्हारा दस्तक देना

उत्सव के आह्वान जैसा है

बसंत के पीले मुलायम पत्ते , 

फूल जैसे हमारे प्यार का

 उद्बोधन है

मेरा भुला भटका मन

 जब किसी शय की तलाश में

पुकारता हैं तुम्हारा 

नाम वादियों में तब

तुम ही कही आशा की

 किरण लिए मुस्कुराते

 दिखते हो

वो किरणें लयबद्ध होकर 

हमें अंगीकार 

करना चाहती है

एक दिव्य चेतना जागृति हुई

और प्रिय तुम मेरे मन मंदिर 

के मधु मास हुए

महकते फूलो हरे भरे जंगलों

चहकते पंछियों हमारे

 प्रेम प्रसंग का स्वीकार्य है 

हे प्रिय क्या तुम मेरे 

वैकुंठ के स्वामी हो! 

जीवन के सघन तम में

 क्या तुम मेरा प्रकाश हो

ओस की बूंदें झिलमिलाती

 नदियों की श्वेतांबर धारा

 देखो प्रिय हमारा 

नाम पुकार रही 

आओ हम वहाँ चले 

एकाकार हो जाए जैसे

दूर क्षितिज पर होता

धरती और अंबर का मिलन 

आत्मा का परमात्मा से मिलन

 फिर ना कभी बिछुड़ने के लिए



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