इच्छाओं के वरदान लिख दूँ "---
इच्छाओं के वरदान लिख दूँ "---
हिमालय के शिखर पर एक
गीत लिख दूँ
मैं अपने देश के उन वीरों की
दास्ताँ लिख दूँ
जिनके लहू में बहते है
देश की साँस और माटी की खुशबू
हज़ारों मिल दूर कंदराओं में
रह रहे अपने ऋषियों की
वाणी के अहम ब्रह्मास्मि
के सुफल पैग़ाम लिख दूँ
उन फटे हुए कुर्ते की जेब में
सुकूँ के पल लिख दूँ
एक गरीब की पेट पर रोटी लिख दूँ
जिंदगी के बेरुखी
पलों में प्रेम की सौंधी
खुशबु लिख दूँ
मेरे प्रभु तू देना
इतनी शक्ति मुझे की
हर अनाथ बच्चे के मुख पर
मुस्कान लिख दूँ।