दस्तक
दस्तक
ओ दे रहा फिर लौट कर दस्तक
ये दस्तक नहीं फूल बहारों की
ये दस्तक नहीं कोई त्योहारों की।
उसके नाम से धड़क रहा दिल
ये धड़कन नहीं प्रिय, प्रेयसी की
ये धड़कन नहीं मिलन, या बेबसी की
वो तैयार है हम तैयार हो रहे
बस फर्क यहीं उसके आने से पहले
ना कुछ बदलेगा उसके आने से पहले
वो जाएगा, ना मायूस किए
वो आया जब कई तबाह किए
अब है वक्त जियें उस संग निबाह किए
मास्क, प्रोटोकॉल हथियार लिए
सफल जीवन का सफलता दीदार करने
जागृति ज़न ज़न में कोरोना पर प्रहार करने।
