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Dr Reshma Bansode

Tragedy

4.5  

Dr Reshma Bansode

Tragedy

जन्मदिन

जन्मदिन

1 min
424


जन्मदिन

याद तो था मुझे ,

हर साल कुछ अलग लेकर आता है ,

कुछ नया दिखा जाता है ,

कुछ पुराना फिर से उभर कर आता है ।

जन्मदिन,

इस बार भी याद था ।

कुछ अलग नहीं किया मैंने ,

रोज जैसा ही एक दिन ।

धड़कनों में कुछ अजीब लग रहा था ,

शायद भीतर से आवाज आ रही थी ।

क्या किसी को याद होगा ? जन्मदिन है मेरा ।

जन्मदिन ,

उमर कितनी भी बड़ी हो जाए, एक अजीब सी एक अजीब सा लगाओ है इस दिन के साथ ।

न जाने क्यों लगता रहता है,

कोई तो पैगाम आए ,

कोई फूलों का गुलदस्ता आए, कोई फोन कॉल ।

जन्मदिन ,

हर साल की तरह इस बार भी कुछ नया जरूर दिखाएगा ।

खैर ,सारा दिन तो गुजर गया,

 न कोई पैगाम ,ना कोई फोन कॉल ,न कोई गुलदस्ता ।

जन्मदिन ,

शायद इस साल यही उसे दिखाना था ।

अब मैं कहीं नहीं हूं ,कहीं नहीं हूं।


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