जन्मदिन
जन्मदिन
जन्मदिन
याद तो था मुझे ,
हर साल कुछ अलग लेकर आता है ,
कुछ नया दिखा जाता है ,
कुछ पुराना फिर से उभर कर आता है ।
जन्मदिन,
इस बार भी याद था ।
कुछ अलग नहीं किया मैंने ,
रोज जैसा ही एक दिन ।
धड़कनों में कुछ अजीब लग रहा था ,
शायद भीतर से आवाज आ रही थी ।
क्या किसी को याद होगा ? जन्मदिन है मेरा ।
जन्मदिन ,
उमर कितनी भी बड़ी हो जाए, एक अजीब सी एक अजीब सा लगाओ है इस दिन के साथ ।
न जाने क्यों लगता रहता है,
कोई तो पैगाम आए ,
कोई फूलों का गुलदस्ता आए, कोई फोन कॉल ।
जन्मदिन ,
हर साल की तरह इस बार भी कुछ नया जरूर दिखाएगा ।
खैर ,सारा दिन तो गुजर गया,
न कोई पैगाम ,ना कोई फोन कॉल ,न कोई गुलदस्ता ।
जन्मदिन ,
शायद इस साल यही उसे दिखाना था ।
अब मैं कहीं नहीं हूं ,कहीं नहीं हूं।