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SUNIL JI GARG

Tragedy

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SUNIL JI GARG

Tragedy

त्रासदी

त्रासदी

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रास्ते में मिल गया 

अजनबी उस रोज़ 

सुंदर, सजीला बदन

बड़ी सी लंबी नोज़ 


प्यार की पहली नज़र

ऐसी होती लगा पता

उसको को ये लगने लगा

अब हो जाएगी खता


अब बातें होने लगीं

दिल मचलने लगे

रोज़ कॉलेज बाद वो

नदी तट मिलने लगे


इश्क, मुश्क की बात

अब छुपाए न छुपी

घर वालों के पास

हर बात जा पहुंची


पहले वो लगता था

घर वाले अब अजनबी

टेंशन बढ़ गई काफी

जोड़ी घर से ये भागी


असली कठिनाई का

दौर जालिम आ गया

रोज़ रोज़ का झगड़ा

रिश्तों को खा गया


फिर वही ट्रेजेडी हुई

टुकड़े जिंदगी हुई

मीडिया, पुलिस आए

कहानी नंगी हो गई


समाज के ठेकेदार सब

बोलकर भी न थके

कोई बतला न सका 

बच्चे हमारे कब बदले


दोस्ती परिवार में अब

सब ऊपर ऊपर की बात

मन के भीतर क्या चले

शेयर न करे कोई साथ


है फजूल सारी तरक्की

जब विश्वास खोने लगे

इक्कीसवीं सदी के नाम

ये कहाँ हम जाने लगे।


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