बड़ी बहन
बड़ी बहन
कभी कभी बच्चों सी
शरारत करती थी,
तो कभी कभी माँ का,
प्यार भी देती थी।
कभी कभी पापा के
गुस्से से बचाती थी,
तो कभी कभी खुद भी
डाँट देती थी।
फूलों जैसी प्यारी सी
मुस्कान है उसकी,
वह सुरों में पिरोई
हुई राग जैसी है।
तुम्हारे रुप में मिली
मुझे उम्र भर की दोस्त,
आज वो परीकथा की परी
बन गई पल भर में पराई।।