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मिली साहा

Abstract Tragedy

4.9  

मिली साहा

Abstract Tragedy

जीवन के बाद

जीवन के बाद

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मृत्यु तो जीवन का अटल सत्य जिसे टाल सके न कोई,

कोई न जाने जीवन के बाद, किसका जीवन कैसा होई,

पंचतत्वों में विलीन होकर रह जाएगा मिट्टी का तन यह,

धन दौलत, मोहमाया यहीं का है सब यहीं पर रह जाई।


जीवन के बाद, तस्वीर सी ख़ामोश हो जाएगी ज़िन्दगी,

बस सभी की यादों में सिमट कर ही रह जाएगी ज़िंदगी, 

न तो कोई एहसास साथ जा पाएगा और न जज़्बात ही,

अंत समय सांँसो के मोह से जुदा हो जाएगी ये ज़िन्दगी। 


दिल की बात कोई अधूरी, शायद दिल में ही रह जाएगी,

रिश्ते, प्यार मोहब्बत ये बस, कहानी बनकर रह जाएगी,

टूट जाएगी डोर, पतंग समान उड़ते हुए, इस जीवन की,

सबकी आंँखों से दूर किसी दिशा में ओझल हो जाएगी।


मन के अंदर सबसे अदृश्य, ख़ामोशी में एक शोर होगा,

शायद दर्द का कोई समंदर दिल में, कहीं पर बैठा होगा,

एक पल ऐसा लगेगा, क्यों सब कुछ फिसल रहा है मेरा,

फिर अगले पल ही, इस सच्चाई से हमारा सामना होगा।


गहन अंधकार में विलीन हो जाएगा सब जीवन के बाद,

कुछ निशानियांँ कुछ यादें ही रह जाएंँगी जीवन के बाद,

अपने कर्म विचार व्यवहार से हमने जो कुछ भी कमाया,

उसी का प्रतिरूप, हमारी पहचान बनेगी जीवन के बाद।


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