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मानसिंह मातासर

Tragedy

4.5  

मानसिंह मातासर

Tragedy

अजनबी

अजनबी

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मिलने पर प्रणाम नहीं

और नहीं समाचार

वार त्यौहार जाते नहीं

नहीं भेंट उपहार


सुख दुःख दूर से

देखे नजर तरेर

प्रतिपल शक से चले

रहा नहीं विश्वास


ये शहर है साथियों

और शहर के लोग

जहाँ हैं सब अजनबी

एक दूसरे के लिए ।।


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