विवाह
विवाह
विवाह एक रस्म है
दो पवित्र आत्माओं के
पावन बंधन की,
मत बनाओ इसे
बन धनलोलुप
परम्परा धन की ।
ये रस्म है
बहु को मान बेटी
स्वागत करने की,
मत बनाओ इसे
चीज कोई तुम
तिजोरियाँ भरने की।
ये रस्म है
दो परिवारों के
सुखद मिलन की,
मत बनाओ इसे
नफरती नजरों से
ईर्ष्या और जलन की ।।
