स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
आये फिरंगी देश में, करने वे व्यापार।
जड़े जमाई जोर की, बन बैठे सरदार।।
जनता को अंग्रेज सब, देते दुःख अपार।
दुखी जनता जाग उठी, किया समंदर पार।।
माँ ने खोए लाडले, बेटों ने निज तात।
आजादी ऐसे मिली, सुन लो मेरे भ्रात।।
देशप्रेम की भावना, रग-रग रही समाय ।
राजगुरु, सुखदेव, भगत, फाँसी गले लगाय।।
आजादी महँगी बहुत, खूब बहा था खून।
उसी खून से लिख दिया, स्वर्णमयी मजमून।।