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मानसिंह मातासर

Others

4.5  

मानसिंह मातासर

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पौराणिक कथा

पौराणिक कथा

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हर ग्रन्थ और पुराण की मैं कथा कहूँ ,

बिगड़ गयी जो आज उसकी व्यथा कहूँ।


सत्य और सटीक, बिना कोई मिलावट,

मैंने यथा सुनी है उसे आपको तथा कहूँ।


आदिकाल से चली आ रही इस रस्म को,

विवाह की पावन मर्यादित एक प्रथा कहूँ ।


इंसां की कद्र नहीं,दहेज की रखते जो चाह,

उन्हें लालची वन भेड़िये मैं सर्वथा कहूँ ।


शिक्षा की मशाल भी कुछ कर न सके यदि,

ऐसा हथियार होते हुए भी 'मान' निहत्था कहूँ ।।


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