पौराणिक कथा
पौराणिक कथा
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हर ग्रन्थ और पुराण की मैं कथा कहूँ ,
बिगड़ गयी जो आज उसकी व्यथा कहूँ।
सत्य और सटीक, बिना कोई मिलावट,
मैंने यथा सुनी है उसे आपको तथा कहूँ।
आदिकाल से चली आ रही इस रस्म को,
विवाह की पावन मर्यादित एक प्रथा कहूँ ।
इंसां की कद्र नहीं,दहेज की रखते जो चाह,
उन्हें लालची वन भेड़िये मैं सर्वथा कहूँ ।
शिक्षा की मशाल भी कुछ कर न सके यदि,
ऐसा हथियार होते हुए भी 'मान' निहत्था कहूँ ।।