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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Tragedy

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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Tragedy

हंस लेता

हंस लेता

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बड़े मस्ती भरे अंदाज में कहा

किसी ने क्या तुम को तकलीफ

नहीं होती, हर पल कैसे हंस लेता है? ....

मेरा जवाब था तकलीफ किस बात की

मेरा था क्या, मेरा होगा क्या जो मुझे

तकलीफ हो पैदा मां -बाप ने किया

तो उसमें मेरा क्या, जन्म भगवान ने

दिया तो उसमें मां - बाप का क्या

किस के लिए तकलीफ लेता?.....

रिश्ते नाते एक पल हैं एक पल नहीं

होंगे, धन दौलत आज है कल नहीं होगी

जमीन जायदाद आज तक

कोई साथ ले जा सका नहीं

फिर किस बात के लिए तकलीफ लेता? ...

पत्नी आधी उम्र बीत जाने पर आती

बच्चे की किलकारी से घर भर देती

बच्चे होंगे बुढ़ापे का सहारा ये सोच

कर मां - बाप अपना सर्वस्व उन पर

लुटाते, एक दिन बच्चे बड़े हो कर

मां - बाप पर अंगुली उठाते सब कुछ मिथ्या है,

फिर किस बात के लिए तकलीफ लेता? ...

यार दोस्त सब मतलब के साथी

काम पड़े तो इनकी परछाई भी

गायब हो जाती यारी बन जाती जीव पर भारी

फिर किस बात के लिए तकलीफ लेता? ...

बस यही सोच कर मैं हर पल हंस लेता....



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