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Satyam Tripathi

Tragedy

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Satyam Tripathi

Tragedy

भटकता बचपन

भटकता बचपन

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भटकता बचपन सड़को पर,

पहने धूल धूसरित वस्त्र।

बिलखता वेदना पूर्ण स्वर में,

दिनभर विचरता, भूख से तड़पता।

कुछ दुत्कारते उसको,

उछाल देते कुछ गिन्नियां।

सहता मार मौसम की,

न पैरो में जूतियां।

काँपता बदन सर्दियों में,

झुलसाती गर्मी में रश्मियाँ।

था आरसी वो सफलताओं का,

सरकारी योजनाओं का,

समाज में बढ़ रही भुखमरी,

तंगहाली और बीमारी का।


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